Tuesday, May 13

मंडलायुक्त जी अंकुश चौधरी द्वारा जिन अवैध निर्माणों और कच्ची कालोनियों के विरूद्ध जो आवाज उठाई जा रही है उनकी जांच एक समिति बनाकर कराये तभी हो सकता है शहर का सुनियोजित विकास का सपना साकार

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मेरठ 19 अप्रैल (प्र)। पिछले लगभग दो दशक से निरंतर समाज के हर क्षेत्र में निस्वार्थ भाव से सक्रिय रहकर सेवाभाव से काम करते चले आ रहे वर्तमान में आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष अंकुश चौधरी इससे पूर्व यहां के मेरठ मंड़लायुक्त रहे आलोक सिन्हा के समय में शहर की समस्याओं के समाधान के लिए सक्रिय हुआ संगठन मेरी पहल मेरा शहर में भी उनके द्वारा निस्वार्थभाव से काफी काम किया गया। जिसकी नागरिक और अधिकारी भी प्रशंसा किया करते थे। वर्तमान में वो पिछले कई वर्षों से आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष के पद पर रहते हुए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहे है। और हर प्रकार की जन समस्याऐं उठाकर उनका समाधान कराने के लिए भरपूर प्रयास करते नजर आते है।
भले ही वो सत्ताविरोधी दल से संबंध क्यों न हो मगर शुरू से सही बात कहने और सबके सामने उसे रखने में अग्रणी रहने के चलते प्रदेश सरकार की निर्माण नीति और माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा शहर के सुनियोजित विकास के लिए अवैध कालोनियों और निर्माणों के विरूद्ध अभियान चलाने के दिये जा रहे निर्देशों का पालन भले ही सही प्रकार से संबंधित विभाग मेडा से जुड़े अधिकारी न कर रहे हो लेकिन सरकार की निर्माण नीति के विरूद्ध हो रहे अवैध निर्माणों आदि के खिलाफ पिछले काफी समय से अंकुश चौधरी मेडा के अधिकारियों को पत्र देकर कार्रवाई कराने का प्रयास करते चले आ रहे है। कुछ समय पूर्व उनके द्वारा मवाना रोड़ स्थित ट्रांसलेम एकेडमी में नियमों के विरूद्ध हो रहे अवैध निर्माण के खिलाफ आवाज उठाई गई और अब वो अन्य अवैध निर्माणों और कालोनियों तथा शैक्षिक भू उपयोग वाली जमीन पर कालोनी विकसित किये जाने आदि का विरोध कर रहे है। जिससे परेशान और खासकर दोषी व्यक्ति अब उन्हें कुछ सीधे साधे लोगों को साथ लेकर यह कहते हुए कि आप जिलाध्यक्ष अवैध वसूली आदि के लिए अवैध निर्माणों के नाम पर विरोध कर रहे है। मेरा मानना है कि कहने से कुछ नहीं होता अगर इस संदर्भ में उनका विरोध और प्रर्दशन करने वालों के पास कोई तथ्य है तो सामने लाकर उनसे बात करे वर्ना किसी के कह देने से ना तो अंकुश चौधरी अवैध वसूली कर्ता हो सकते है और न ही ब्लैकमेलर। जो लोग उन पर ऐसे आरोप लगा रहे है आम आदमी का कहना है वो तथ्य परख रूप से साबित करें।
इस संदर्भ में अंकुश चौधरी तथ्यों के साथ बताते है कि मवाना गन्ना समिति के डायरेक्टर सतीश मावी शैक्षिक भूउपयोग वाली जमीन पर कालोनी विकसित कर रहे सरकार की निर्माणनीति के विपरीत। जब उसका विरोध किया जा रहा है तो मेरे ऊपर झूठे आरोप लगा रहे है। मैं इस अवैध निर्माण के विरूद्ध कार्रवाई जारी रखूंगा मैं चाहता हूं कि पूरे मामले की जांच हो।
कुछ लोगों का मौखिक रूप से यह भी कहना है कि अवैध निर्माण कालोनियों का अंकुश चौधरी द्वारा किये जा रहे विरोध से किसी न किसी रूप में प्रभावित हो रहे मेडा से संबंध कुछ अधिकारियों द्वारा आप पार्टी के जनहित के अभियान को कमजोर करने के लिए इस प्रकार के प्रर्दशन और शिकायतें कराई जा रही है। नागरिकों के मौखिक रूप से इस कथन में कितनी सत्यता है इसकी जांच तो मेडा के अधिकारियों को करानी चाहिए। लेकिन एक बात जो हमेशा देखने को आई जब भी कोई सरकार की निर्माण नीति का पालन कराने के दृष्टिकोण से आवाज उठाता है तो जिस प्रकार अब अंकुश चौधरी के विरूद्ध आवाज उठाई जा रही है उसी प्रकार मेडा के अवैध निर्माण रोकने से संबंध कुछ अधिकारियों के द्वारा अपनी जान बचाने और अवैध निर्माणकर्ताओं को लाभ पहुंचाने तथा जानकारों के अनुसार अपना बैंक बैंलेस बढ़ाने के लिए वो पत्रकारों के खिलाफ भी ऐसे आरोप लगाते है कि ये ब्लैकमेल करने और निर्माणकर्ताओं से वसूली हेतु इस प्रकार के समाचार लिख रहे है और अपनी इस बात से वीसी और सचिव को संतुष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं इसी का परिणाम है कि मेडा की सीमा के अंदर कच्ची कालोनियों और अवैध निर्माणों की बाढ सी आ गई है। क्योंकि जब भी कोई शिकायत होती है तो उनके द्वारा यह आलाप लापा जाता है कि यह निर्माण मानचित्र पास है दोषियों को बचाने का हर संभव प्रयास करते है। वीसी साहब अंकुश चौधरी द्वारा उठाये के मुद्दो और आये दिन माननीय मुख्यमंत्री जी के पोर्टल पर होने वाली शिकायतों का निरीक्षण आप या सचिव से कराईये तो पता चल जाएगा कि मानचित्र पास की आड़ में किस प्रकार से आपके सहयोगी कच्ची कालोनियों और अवैध निर्माणों को बढ़ावा दे रहे है। मेरा मानना है कि अंकुश चौधरी और आप पार्टी के नेताओं को भी महात्मा गांधी जी के दिखाये मार्ग पर चलते हुए अवैध निर्माण के मामले से वीसी साहब को सीधे अवगत कराते रहना चाहिए और आवश्यकता पड़े तो डीएम और कमिश्नर साहब को उनका ध्यान दिलाने हेतु दिये जाए शिकायती पत्र।
लेकिन सरकार की निर्माण नीति के विरूद्ध काम करने वालों के द्वारा जो आरोप लगाये जा रहे है उन पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए।

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