मेरठ 07 अक्टूबर (प्र)। शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सोमवार को बंगाली दुर्गाबाड़ी समिति, मेरठ के प्रांगण में कोजागरी लक्ष्मी पूजा का आयोजन श्रद्धा और उल्लास के साथ किया गया। चांदनी रात में श्रद्धालुओं ने माँ लक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना की, लोक्खी पांचाली (चालीसा) का पाठ किया और पुष्पांजलि अर्पित कर माँ को खीर व विविध प्रसादों का भोग लगाया।
‘कोजागरी’ शब्द बंगाली भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘जागो रे’। मान्यता है कि इस रात महालक्ष्मी स्वयं पृथ्वी पर अवतरित होकर अपने जाग्रत भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। समिति के प्रधान सचिव अभय मुखर्जी ने बताया कि शरद पूर्णिमा को फसल उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। यह पर्व मानसून के अंत और शीत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। इस दिन राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती और लक्ष्मी-नारायण की विशेष पूजा होती है और चंद्रमा के प्रकाश में उन्हें खीर व पुष्पों का भोग लगाया जाता है।
समिति अध्यक्ष डॉ. सुब्रोतो सेन ने कहा— लक्ष्मी पूजन दुर्गा पूजा के 5 दिन बाद होता है और हम लोग दिवाली पर काली पूजा करते है, और आज के दिन जितनी भी महिलाएं है पहले अपने घर पर पूजा करती है उसके बाद दुर्गा बाड़ी में आकर मां लक्ष्मी की पूजा करते है। आज के दिन जो पूजा प्रारंभ होगी शंखनाद से होगी, घड़ियाल बज सकते है लेकिन घंटे की बिल्कुल मनाई है, ये कहते है कि मां लक्ष्मी घंटी बजाने से नही आती है इसलिए शंखनाद बजाया जाता है क्योंकि मां उससे जल्दी आ जाती है।
श्रद्धालु दिनभर व्रत रखकर रात में चांदनी की शीतल रोशनी में माँ लक्ष्मी की विशेष आराधना करते हैं। इसे महालक्ष्मी का जन्मदिवस भी माना जाता है। भक्त इस अवसर पर माँ से उत्तम स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की कामना करते हैं।
कार्यक्रम की सफलता में पूजा सचिव नोवेंदु राय चौधरी, सह सचिव सत्यजीत मुखर्जी के साथ अमिताभ मुखर्जी, पापिया सान्याल, अजय मुखर्जी, प्रदीप मुखर्जी, विश्वजीत विश्वास, सुभ्रा मुखर्जी, मोहिनी मुखर्जी, रिंकू नियोगी, लिपिक चौधरी, दीप्ति चौधरी, गौतम मुखर्जी, अल्पना चक्रवर्ती और इवा गांगुली का विशेष योगदान रहा।