Sunday, September 8

प्रियंका जी जहां आपकी सरकारें हैं वहां यह सुविधाएं क्यों नहीं दी जा रहीं

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कुछ राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों में सत्ता और विपक्ष के नेता चुनाव जीतकर मतदाताओं को सुविधा देने के वादे कर रहे हैं। बीते दिनों निर्वाचन आयोग ने शायद कहा था कि लोकलुभावने वादों पर निगाह रखी जाएगी। लेकिन राजनीतिक दलों के नेता तो खुलकर चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद भी निरंतर घोषणाएं मुफत की रेवड़ी बांटने की कर रहे हैं। आखिर कैसे।
कांग्रेस की राष्टीय महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में चुनावी जनसभा में महिलाओं, किसानों समेत आठ प्रमुख घोषणाएं की गई। उन्होंने भूपेश बघेल सरकार के कार्याे का उल्लेख करते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार सत्ता में लौटी तो महतारी योजना लागू की जाएगी और घरेलू गैस सिलेंडर पर 500 रूपये की सब्सिडी दी जाएगी व सक्षम योजना के तहत लिए गए ऋण माफ किए जाएंगे। प्रियंका जी अगर सरकार ऐसी सुविधाएं बिना टैक्स बढ़ाए दे सकती है तो इससे अच्छी बात आम मतदाताओं के लिए कुछ नहीं हो सकती लेकिन पिछले पांच साल से छत्तीसगढ़ व राजस्थान में आपकी सरकार है वहां यह सुविधाएं क्यों नहीं दी गई। और भविष्य में यह लाभ नागरिकों को कहां से दिलाएंगी यह बात स्पष्ट जरूर होनी चाहिए क्योंकि मैं किसी एक दल की बात नहीं करता। मेरा मानना है कि सभी दलों द्वारा चुनावों में जो घोषणाएं की जा रही हैं। पहले तो आचार संहिता लग जाने पर इन पर पूर्ण रूप से रोक लगनी चाहिए। इनसे पूछा जाए कि अब तक इन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया। भविष्य में इनके पास इन सुविधाओं के लिए हजारो करोड़ रूपये कहां से आएंगे। वरना ये जो हसीन ख्वाब राजनीतिक दल दिखा रहे हैं उन पर रोक लगाई जाए क्योंकि पूर्व में जो वादे किए गए थे और अपनी सरकारों में जनहित के काम होने के दावे किए जा रहे हैं उनके आंकड़े भी जानकारांे के अनुसार पूर्ण रूप से सही नहीं कहे जाते हैं। मेरा मानना है कि निर्वाचन आयोग इसका संज्ञान लेकर नेताओं द्वारा दिखाए जा रहे हसीन सपनों पर रोक लगाएं क्योंकि जब यह टूटते हैं तो आम आदमी को काफी मानसिक आघात झेलने पड़ते हैं।
प्रस्तुति: अंकित बिश्नोई
पूर्व सदस्य मजीठिया बोर्ड यूपी

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