Monday, December 23

मान्य प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री दें ध्यान! जब तक एक्सईन और एसडीओ को जवाब देह नहीं बनाया जाएगा तब तक सुधार होने वाला नहीं है पैसा कितना ही खर्च कर लिया जाए

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देश में बिजली की जितनी खपत हो रही है जानकारों का कहना हेै कि उत्पादन उसके मुकाबले अभी काफी कम है। इस संभावना से भी इनकार नहीं कर सकते कि घर घर में लगने वाले एसी और बिजली से चलने वाली ट्रेनों की बढ़ती संख्याा से इसकी मांग भी बढ़ना अनिवार्य है। मगर जितना दिखाई दे रहा है उससे यह स्पष्ट नहीं होता कि खपत के अनुसार उत्पादन बढ़ाने के लिए क्या इंतजाम किए जा रहे हैं।
विश्व उर्जा आउटलुक की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 में भारत में अब के मुकाबले बिजली की नौ गुना मांग बढ़ेगी। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो खासकर हमारी भावी पीढ़ी के सामने बिजली आपूर्ति और उत्पादन की क्या स्थिति होगी और जिस प्रकार से प्रदूषण और गंदगी बढ़ रही है उसकी मार मौसम पर पड़ रही है जानकारों का कहना है कि इसके चलते इस बार 2024 के फरवरी में ही गर्मी का दबाव बढ़ने लगेगा। अगर इसे ध्यान से देखें तो भविष्य में मौसम भी अपनेे रंग बदलेंगे और खासकर गर्मी ज्यादा परेशान करेगी। उप्र के मेरठ में खबरों के अनुसार पावर कारपोरेशन के अंतर्गत आने वाले पश्चिमांचल के 14 जिलों में 504 करोड़ से बिजली का नेटवर्क सुधरेगा। निर्बाध आपूर्ति के लिए 900 किमी क्षेत्र में बिजली के तारों को अंडरग्राउंड करने के साथ ही ट्रांसफार्मर भी बदले जाएंगे। बिजली चोरी रोकने के लिए एबी केबिल बिछाए जाएंगे। मगर सवाल यह उठता है कि अगर सिर्फ दावे करने और ज्यादा से ज्यादा पैसा खर्च करने से सुधार हो सकता तो अब तक कभी का हो चुका होता। क्यांेकि बीते दिनों आठ हजार स्ट्रीट लाइटों के माध्यम से त्योहारों के मौके पर सड़कों पर रोशनी के दावे किए गए थे। लेकिन दशहरा नवरात्र ईद निकल चुकी है। इस पर जो देखने को मिला उससे यही संभावना बनती है कि शायद दीपावली पर भी जिम्मेदार कोई बड़ा करिश्मा नहीं कर पाएंगे क्योंकि दावे को सही करने करने के लिए बिजली विभाग और नगर निगम ने कोई सकारात्मक प्रयास कागजी खानापूर्ति करने के अलावा शायद नहीं किया वरना अंधेरी सड़कों पर होकर रावण दहन और अंधेरे में नवरात्रों की पूजा करने के लिए धार्मिक स्थल तक नहीं जाना पड़ता।
उप्र के सीएम योगी आदित्यनाथ और ऊर्जा मंत्री एके शर्मा व यूपी पावर कारपोरेशन के चेयरमैन आशीष गोयल द्वारा त्योहारों पर 24 घंटे गांव देहातों सहित शहरों में निर्बाध बिजली आपूर्ति के निर्देश दिए गए थे। अपने पश्चिमांचल पावर कारपोरेशन की एमडी चैत्रा वी ने इन आदेशों के अनुपालन में अभियान चलाकर जर्जर तारों को बदलने आदि के आदेश दिए। लेकिन एसडीओ और एक्सईएन स्तर के अधिकारियों की स्थिति यह है कि वो हर मामले को कागजी खानापूर्ति में फंसाने और टालमटोल की नीति अपनाते हुए फर्जी रिपोर्ट देते हुए नागरिकों के कहे अनुसार ज्यादा बताए जाते है। वरना पिछले कई साल से टेढ़े बिजली के खंभों और तारों व टांसफार्मर को बदलने व भूमिगत कराने के आदेश शासन स्तर पर दिए गए और कई बार इनके अनुपालन के निर्देश भी हुए। अफसरों ने दावे किए लेकिन स्थिति में कुछ प्रतिशत भी सुधार नजर नहीं आता है। पावर कारपोरेशन के ऑफिस वातानुकूलित और साज सज्जा से युक्त जरूर दिखाई देने लगे हैं। कुछ नागरिकों का कहना है कि ओएसडी व एक्सईन भी बड़े अफसरों की तरह अपने कार्यालय से बाहर निकालकर काम करना नहीं चाहते हैं। खानापूर्ति इनके द्वारा भी मीटिंग लेने में एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने का काम बदस्तूर किया जाता है। ऐसा पीड़ितों का कहना है।
इस संदर्भ में 22 सितंबर को रूड़की रोड स्थित शीलकुंज कॉलोनी से एक प्रार्थना पत्र यूपी पावर कारपोरेशन के चेयरमैन आशीष गोयल को भेजकर बिजली के तारों और टेढ़े खंबों को बदलावने के लिए भेजा गया था। जिस पर उनके द्वारा एक घंटे में ही कार्रवाई के निर्देश पश्चिमांचल पावर कारपोरेशन की एमडी चैत्रा वी को दिए गए। उक्त कार्रवाई पर एक दिन तो अभियंता और ओएसडी ने सक्रियता दिखाई और उसके बाद अपनी आदत के अनुसार मामले में लीलापोती करते हुए कार्रवाई को अंजाम नहीं दिया गया। उसके बाद मवाना में कुछ लोगों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा। उससे पहले राली चौहान में कई लोग काल के गाल में समा गए। कहने का मतलब है कि जब तक मुख्यमंत्री और बिजली मंत्री आदेशाों का पालन कराने के लिए एक्सइए और ओएसडी को जवाबदेह नहीं बनाया जाएगा तब बिजली तारों और आपूर्ति में सुधार होने वाला नहीं है।

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