मेरठ 17 जून (प्र)। एडीजी मेरठ जोन भानु भास्कर ने प्रशिक्षु उप निरीक्षकों को बीट का महत्व समझाते हुए उनसे बीट पर नवाचार के जरिए पुलिस की कार्यक्षमता में वृद्धि करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अनेक देशों की पुलिस सशक्त व प्रभावी बीट प्रणाली के आधार पर ही जनता में काफी लोकप्रिय है। प्रभावी वीट प्रणाली के द्वारा पुलिस थाने में पदस्थापित प्रत्येक पुलिस कर्मी को स्वतंत्र उत्तरदायित्व के साथ अनेक अधिकार प्रदत्त किये जाते हैं ताकि वह अपने क्षेत्र के प्रति अपने कर्तव्य को समझकर उसका निवर्हन कर सकें। साथ ही, जनता में पुलिस विभाग के प्रति विश्वास एवं सहयोग की भावना का संचरण कर सके।
सोमवार को पुलिस लाइन सभागार में एडीजी मेरठ जोन भानु भास्कर तथा डीआईजी रेंज कलानिधि नैथानी की अध्यक्षता में मेरठ के एएसएसपी, अपर पुलिस अधीक्षक, सहायक पुलिस अधीक्षक, क्षेत्राधिकारी, थाना प्रभारी, प्रधान लिपिक एवं पुलिस उपाधीक्षक अभिसूचना, जिला अग्निशमन अधिकारी के साथ नगर व देहात क्षेत्र के 100 प्रशिक्षु उप निरीक्षक तथा 300 मुख्य आरक्षी व आरक्षी को बीट बुक वितरण किया गया। इस दौरान एडीजी ने सुदृढ़ कानून व्यवस्था एवं आपराध नियंत्रण के लिए बीट व्यवस्था को प्रभावी बनाने की जानकारी दी।
बीट का महत्वः एडीजी भानु भास्कर ने बताया कि पुलिस व्यवस्था की छोटी इकाई बीट होती है, जिसका प्रभार आरक्षी के पास होता है कई बीट मिलकर हल्का या चौकी क्षेत्र बनता है, जिसका प्रभारी उपनिरीक्षक होता है। बीट आरक्षी का कर्तव्य होता है कि वह अपने बीट के ग्राम व मोहल्लों से सम्बन्धित जानकारियां जैसे अपराधियों का विवरण, अवैध शराब के अड्डे, भूमि विवादों का विवरण आदि रखे व महत्वपूर्ण सूचनाओं को बीट सूचना के रूप में थाने पर अंकित कराये।
अभिसूचना संकलन, अपराध नियंत्रण एवं जनता के साथ संवाद व पुलिस छवि में बीट आरक्षी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। जनपद में बीट प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए प्रत्येक थाना क्षेत्र को छोटी-छोटी बीट में विभक्त कर दिया गया है। एक बीट में लगभग चार ग्राम, मोहल्ले रखे गए हैं। इन वीटों के ग्राम / मोहल्ले यथावत रहेंगे व बार बार बदले नहीं जाएंगे। प्रत्येक बीट का प्रभारी एक आरक्षी होगा। बीट आरक्षी अपनी बीट के विषय में समस्त जानकारी रखेगा व उन्हें बीट पुस्तिका में दर्ज करेगा।
बीट को कैसे अरेंज कराएं: नगरीय थाने में 1097 की आबादी पर एक आरक्षी तथा ग्रामीण क्षेत्र के थाने में 1700 की आबादी पर एक आरक्षी निर्धारित किया गया है। बीट का आकार इतना बड़ा भी नहीं होना चाहिये, जिससे बीट अधिकारी को कुशलतापूर्वक कार्य करने में कठिनाई हो तथा इतना छोटा भी नहीं होना चाहिये कि जनशक्ति के आवंटन के लिये कठिनाई उत्पन्न हो। वीट का साइज निर्धारण करते समय शहरी क्षेत्र, ग्रामीण क्षेत्र वहां की जनसंख्या, भौगोलिक विशेषतायें साम्प्रदायिक संवेदनशीलता इत्यादि का ध्यान रखें एवं इसका स्थानीय स्तर पर आंकलन कर लें। भौगोलिक, राजनीतिक एवं सामाजिक आवश्यकताओं एवं चुनौतियों के दृष्टिगत बीट का क्षेत्र घटाया बढ़ाया जा सकता है।
बीट में नया नवाचारः जनता व पुलिस का आपसी समन्वय व सूझबूझ स्थापित करने तथा पुलिस की कार्यक्षमता में वृद्धि के क्रम में सशक्त बीट प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अनेक देशों की पुलिस सशक्त व प्रभावी बीट प्रणाली के आधार पर ही जनता में काफी लोकप्रिय है। प्रभावी वीट प्रणाली के द्वारा पुलिस थाने में पदस्थापित प्रत्येक पुलिस कर्मों को स्वतंत्र उत्तरदायित्व के साथ अनेक अधिकार प्रदत्त किये जाते है ताकि वह अपने बीट क्षेत्र के प्रति अपने कर्तव्य को समझाकर उसका निवर्हन कर सके और जनता में पुलिस विभाग के प्रति विश्वास एवं सहयोग की भावना का संचरण कर सके। इस प्रणाली में जहाँ वह एक ओर अपने बीट क्षेत्र में पुलिस थाने का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं दूसरी ओर बीट की जनता की दृष्टि में उनके प्रतिनिधि एवं मित्र के रूप में पुलिस थाने में कार्यरत रहता है।
बीट बुक के प्रमुख अंश: बीट प्रणाली को सात भागों में विभक्त किया गया है। इसमें भौगोलिक विवरण एवं सामान्य जानकारी, बीट के ग्राम मोहल्लों के प्रमुख व्यक्तियों के नाम विवाद व शत्रुता, आपराधिक ठिकानों का विवरण, प्रथम सूचना रिपोर्ट, बीट आरक्षी का सहरानीय कार्य, अपराधियों की पतारसी व सुरागरसी तथा आवंटित प्रार्थना पत्रों की जांच।