मेरठ, 16 जुलाई (प्र)। 138 साल पुराने टाउनहाल भवन के जिस तिलकहाल में बोर्ड बैठक कर नगर निगम के पार्षद शहर के विकास का बजट पास करते रहे। महापौर विकास की परियोजनाओं पर मुहर लगाते रहे। उसकी बदहाली सोमवार को सामने आ गई। हाल की सीलिंग समेत छत का प्लास्टर नीचे आ गिरा। इससे तीन कुर्सी-मेज भी टूट गई। इसी हाल में तीन दिन बाद 18 जुलाई को बोर्ड बैठक होने वाली थी। जिसमें 1324 करोड़ के वार्षिक बजट का अनुमोदन होना था।
गत सोमवार सुबह जब सफाई के लिए कर्मचारी पहुंचे तो उन्हें घटना का पता चला। कर्मचारियों ने निर्माण अनुभाग को सूचना दी। मुख्य अभियंता देवेंद्र कुमार, सहायक अभियंता राजवीर सिंह के साथ तिलकहाल पहुंचे। मुख्य अभियंता ने नगर आयुक्त को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि छत के रोशनदान के पास का प्लास्टर गिरा है। इसके नीचें फाल्स सीलिंग थी। जिसका करीब पांच फीट चौड़ा हिस्सा भी टूट गया है। इसके नीचे तीन मेज और कुर्सी क्षतिग्रस्त हुए हैं। मुख्य अभियंता ने यह भी कहा कि 18 जुलाई को यहां बोर्ड बैठक कराना सुरक्षा की दृष्टिं से उचित नहीं है। पत्र जारी करते हुए मुख्य अभियंता ने तिलकहाल की फाल्स सीलिंग को हटाकर टाउनहाल भवन की पूरी छत की मरम्मत कराने की आवश्यकता जताई है। उन्होंने कहा कि फाल्स सीलिंग के चलते छत अंदर से कहां-कहां कमजोर हो गई है, कहां पर प्लास्टर गिरने की स्थिति है, यह दिखाई नहीं दे रहा है। इस कार्य में समय लगेगा। जब तक यह कार्य पूरा न कर लिया जाए बोर्ड बैठक यहां कराना उचित नहीं होगा।
अटल सभागार में बोर्ड बैठक कराने का हुआ निर्णय
अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार ने बताया कि 18 जुलाई की बोर्ड बैठक का स्थान सुरक्षा की दृष्टि के लिए बदल दिया गया है। महापौर और नगर आयुक्त के दिशा-निर्देश पर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय स्थित अटल सभागार में बोर्ड बैठक कराई जाएगी। इस संबंध में सीसीएसयू के रजिस्ट्रार को सूचना दे दी गई है। पार्षदों व पुलिस को भी पत्र भेजे जा रहे हैं। महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने बताया कि वर्ष 2008 में तत्कालीन महापौर मधु गुर्जर के समय एक बार बोर्ड बैठक भोला की झाल में कराई गई थी। यह दूसरा मौका होगा जब नगर निगम सदन तिलकहाल के बाहर बोर्ड बैठक होगी।
1886 का है टाउनहाल भवन
टाउनहाल भवन की स्थापना 1886 में हुई थी। मेरठ नगर पालिका का प्रशासनिक कार्यालय 1892 में ब्रिटिश काल में स्थापित हुआ था। हाफिज शेख अब्दुल करीम खान बहादुर के सौजन्य से यह बना था। इसका उल्लेख करता शिलापट यहां स्थापित है। इस भवन के रखरखाव की जिम्मेदारी नगर निगम की है। निगम इसे सदन के तौर पर उपयोग करता है, लेकिन इसके रखरखाव के लिए सदन ने कभी गौर नहीं किया। ये बात दीगर है कि सदन के अदर एसी लगाने और माइक को लेकर हमेशा आवाज बुलंद होती रही। उपेक्षा के चलते ऐतिहासिक इमारत कमजोर होती जा रही है।