मेरठ 26 दिसंबर (प्र)। मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) और आवास विकास की नई टाउनशिप तीन लाख लोगों को घरौंदा देगी। इससे आवासीय जरूरतें तो पूरी होंगी ही, व्यावसायिक और औद्योगिक विकास भी होगा मेडा की परतापुर भूडबराल में प्रदेश की पहली इंटीग्रेटेड टाउनशिप कई मायनों में खास होगी।
मेडा की इस बहुप्रतीक्षित टाउनशिप में फ्लैटेड फैक्टरी कल्चर भी विकसित होगा। अभी तक जहां कारखाने और फैक्टरियां भूखंड में ही बनती हैं, लेकिन न्यू टाउनशिप में स्टील्ड स्ट्रक्चर के तहत फैक्टरियां वर्टिकल (ऊर्ध्वाधर) बनाई जाएंगी। इसमें अलग से औद्योगिक ब्लॉक बनाया जाएगा, जिसमें कई तल पर फैक्टरी संचालित हो सकेंगी एनसीआर की आठ फीसदी आवासीय और व्यावसायिक जरूरतों को यह पूरा करेगी । इसमें 1.85 लाख लोगों के लिए 41 हजार 575 आवास इसमें बनेंगे।
मेडा पहले फेज के अंतर्गत 142 हेक्टेयर में इंटीग्रेटेड टाउनशिप विकसित करेगा। इसमें 100 हेक्टेयर जहां आवासीय होगा तो वहीं 27 हेक्टेयर को व्यावसायिक उपयोग और 20 हेक्टेयर को आइटी के लिए आरक्षित किया गया है।
आरआरटीएस स्टेशन, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, दिल्ली- मेरठ एक्सप्रेसवे, मोहिउद्दीनपुर स्टेशन की दूरी यहां से महज डेढ़ किमी रहेगी। सिटी स्टेशन से दस और परतापुर से चार किमी. की दूरी रहेगी। ऐसे में यहां तैयार सामान को बाजार भी सुलभता से मिलेगा।
मेरठ महायोजना 2031 में रैपिड कॉरिडोर के तहत वैल्यू कैप्चर कॉस्ट (वीसीसी) के तहत इसे मिश्रित भू- उपयोग में रखा गया है, ताकि रैपिड के संचालन में वित्तीय फंड जुटाया जा सके। सिटी लॉजिस्टिक प्लान (सीएलपी) को भी इसमें शामिल किया गया है।
3, 15,776 लोगों को मिल रहा है रोजगार
उपाध्यक्ष ने बताया कि सिटी डेवलपमेंट प्लान (सीडीपी) के मुताबिक अभी शहर में स्पोर्ट्स गुड्स, जेम्स एंड ज्वैलरी, मिनरल, शुगर इंडस्ट्री, मेटल इंजीनियिरिंग, एग्रो बेस्ट यूनिट्स, लेदर, इलेक्ट्रिक व परिवहन, कॉटन टैक्सटाइल आदि की 35,200 यूनिट है, जिनसे 3 लाख 15 हजार 776 लोगों को रोजगार मिल रहा है। माना जा रहा है कि 2042 में आठ लाख के करीब रोजगार का सृजन इनसे यूनिट के जरिए होगा।
600 हेक्टेयर में न्यू टाउनशिप ‘न्यू विकसित होगी
आवास एवं विकास परिषद के अधीक्षण अभियंता राजीव कुमार का कहना है कि गंगा एक्सप्रेसवे व हापुड़ रोड पर बिजली बंबा बाईपास के दस गांव में 600 हेक्टेयर में न्यू माई सिटी रिपोर्टर टाउनशिप विकसित की जानी है। शासन की मंजूरी के बाद अब किसानों से वार्ता कर सहमति ली जा रही है।