Friday, July 4

हमें आला तालीमी इदारे और कोचिंग सेंटर खोलने होंगे : शहर काजी

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मेरठ 01 अप्रैल (प्र)। ईद-उल-फितर पर शहर की शाही ईदगाह के मिम्बर से शहरकाजी जैनुस्सालिकीन ने कहा कि मुस्लिमों को तरक्की के लिए आला तालीम हासिल करनी होगी। इसके लिए हमें अपने आला तालीमी इदारे और कोचिंग सेंटर खोलने होंगे। आज काम्प्टीशन का वैर है। काम्प्टीशन में आगे आने वाले को कोई रोक नहीं सकता। शहरकाजी ने अवाम की एकजुटता पर जोर दिया। कहा कि उनके वालिद शहरकाजी जैनुस्साजिदीन ने अवाम को एकजुट करने के लिए पूरी शिद्दत के साथ कोशिश की। उनकी तर्ज पर वह भी भरसक प्रयास करेंगे। ईद- उल-फितर पैगाम है कि हमने एक माह नपस पर कंट्रोल किया। यह तकवा अगले 11 महीने जारी रखा जाए। ईद-उल-फितर हमें एक- दूसरे की मद्द करना, दुख दर्द में शामिल होना सिखाती है। इसलिए इस्लाम में ईद की नमाज अदा करने से पहले जकात और सदकातुल फितर अब करने का हुक्म दिया गया।

शहर काजी ने नहीं पढ़ाई ईद की नमाज
शहर की शाही जामा मस्जिद में रमजान उल मुबारक के दो जुमों के बाद अब शहर की शाही ईदगाह में ईद उल फितर की नमाज शहरकाजी जैनुस्सालिकीन द्वारा न पढ़ाए जाने को लेकर लोगों ने चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया। रमजान के दोनों जुमे में सालिकीन ने जामा मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ाई। इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि ईदगाह में भी सालिकीन ही ईद की नमाज पढ़ाएंगे, लेकिन उन्होंने आज भी नमाज नहीं पढ़ाई। शहरकाजी ने अपनी तकरीर खत्म करने के बाद माइक से दारुल उलूम देवबंद की जामा मस्जिद के इमाम रहे कारी वासिक से नमाज पढ़ाने का आग्रह किया। कारी वासिक ने ही ईद की नमाज पढ़ाई। शहर काजी के पद को लेकर प्रो. सालिकीन और कारी शफीकुर्रहमान कासमी के बीच विवाद में कारी शफीक को जामा मस्जिद में तकरीर तक नहीं दी गई दोनों पक्षों में समझौता होने के बाद आज ईदगाह में कारी शफीकुर्रहमान को तकरीर करने का मौका मिला।

रोजा सभी उम्मतों पर फर्ज : कारी वासिक

शहर की शाही ईदगाह में ईद-उल-फितर की नमाज पढ़ाने से पहले दारुल उलूम देवबंद की जामा मस्जिद की इमाम कारी वासिफ ने कहा कि रोजा सभी उम्मतों पर फर्ज किया गया। हर अमल में दिखावा हो सकता है, लेकिन रोजा ही ऐसा अमल है, जिसमें दिखावा नहीं हो सकता। रोजेदार और अल्लाह को ही रोजे का पता होता है। नमाज, हज और अन्य नेक कामों का इनाम अल्लाह फरिश्तों के जरिए दिलाते हैं, लेकिन रोजेदार को अल्लाह खुद रोजे का बदला अता करेंगे। अल्लाह इसका खुद इनाम अता करेंगे रोजा हमें तकवे की पाबंदी सिखाता है। जन्नत के आठ दरवाजे होते हैं। आठवां दरवाजे से रोजेदारों की जिन्नत में एंट्री होगी। रोजे के जरिए हमें हलाल चीजों से पूरे दिन दूर रहने के सब की ताकत मिलती है जब हम एक माह तक हलाल चीजों से दूर रह सकते हैं तो हम हराम चीजों से भी पूरे साल दूर रह सकते हैं।

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