
मेरठ 22 अगस्त (प्र)। माननीय मुख्यमंत्री जी मेरठ विकास प्राधिकरण मेडा के अफसर बड़े बड़े दावे अवैध निर्माण रोकने रिहायशी घरों को तोड़कर शोरूम आदि खुलने से रूकने के लिए खूब कर रहे है लेकिन अवैध निर्माणों की बढ़ती संख्या देखकर तो यह लगता है कि विभाग के इससे संबंध अधिकारी नियमों का पालन कम अपना बैंक बैलेंस बढ़ाने की व्यवस्था ज्यादा करते नजर आ रहे है। जागरूक नागरिकों में होने वाली ऐसी चर्चा के जीते जागते उदाहरण के रूप में मेडा के अधिकारी थाना रेलवे रोड के क्षेत्र जैन नगर में कम चौड़ी सड़क पर स्थानक भवन के सामने लगभग 300 गज का राजकुमार जैन का पुराना घर तोड़कर मदन लाल जैन द्वारा बनाये गये शोरूम और वहां खोली गई दुकानों को देखा जा सकता है। माननीय मुख्यमंत्री जी संस्कृति नाम से बने शोरूम के लिए घर तोड़े जाने के बाद सरकार की सभी निर्माण नीतियों को नजरअंदाज कर बिलकुल सड़क किनारे से नींव भरी जा रही थी तो दैनिक केसर खुशबू टाइम्स द्वारा कुछ सक्रिय व जागरूक नागरिकों द्वारा दी गई सूचना पर सहचित्र खबर छापी गई थी तब मेडा के इस क्षेत्र से संबंध अवैध व नियम विरूद्ध निर्माण रोकने और बचाने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी के जनशिकायत पोर्टल पर आई शिकायतों का गलत निस्तारण किया जिसका परिणाम सामने है। कुछ लोगों का कहना है कि इस पर सील भी लगी थी अगर ऐसा है तो वो खुली कैसे। इस बिन्दु के साथ ही चित्र में घर तोड़कर बने कर्मशियल शोरूम जो नजर आ रहा है उसे देखकर अंदाज लगाया जा सकता है कि विभाग के संबंधित अधिकारियों द्वारा किसी पर से सरकार की निर्माण नीति और नियमों को नजरअंदाज कर अवैध निर्माण कराये जा रहे है। क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो इतना बड़ा शोरूम जो सड़क से ही बनाना शुरू कर दिया और कुछ फीट का छज्जा भी निकाल दिया वो हो पाना संभव नहीं था।
माननीय मुख्यमंत्री जी विभाग तो ऐसी शिकायतों का फर्जी निस्तारण कर रहे है। इसलिए या तो मेडा के सचिव या वीसी को मौके पर भेजकर अथवा किसी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के माध्यम से इस निर्माण की जांच कराई जाए और दिखवाया जाए कि अगर नक्शा पास है तो गलत तरीके से कैसे हुआ। मौके पर जो मानचित्र पास है क्या उसके हिसाब से निर्माण हुआ है। शासन की निर्माण नीति और कानून जो इस संदर्भ में निर्धारित है मेडा के अधिकारियों ने उसे नजरअंदाज क्यों किया। अगर सील लगी तो खुली कैसे या फिर फाईल में आज भी लगी हुई है। और मेडा के अधिकारियों की जानकारी में होने के उपरांत फिर इतना बड़ा अवैध निर्माण कैसे हो गया।
जमीन का भूउपयोग क्या था क्या अवैध शोरूम बनाने से पहले भूउपयोग परिवर्तन कराया गया या नहीं। अब मौके पर क्या क्या निर्माण हुआ और क्या वो सरकार की नीति के अनुसार हो सकता था। और अगर नही ंतो मेडा के दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई की जाए क्योंकि उनके द्वारा ग्रामीण कहावत हड्डी के चक्कर में कटरा कटवा दिया को ध्यान में रखकर उनके विरूद्ध भी कार्रवाई हो। क्योंकि इस कर्मशियल काम्पलैक्स जो पूर्ण रूप से ना तो ग्राहकों के वाहन खड़े होने की व्यवस्था है और ना ही शोरूम मालिक के।
जो जगह सड़क से ऐसे शोरूमों के लिए छोड़ी जाती है वो क्यों नहीं छोड़ी गई। इस क्षेत्र के अवैध निर्माण से संबंध अफसर ने जब यह निर्माण शुरू हुआ तो तय नियमों के अनुसार कार्रवाई निर्माण कर्ता मदन लाल जैन के खिलाफ क्यों नहीं की। यह बिन्दु ध्यान में रखकर इसकी पारदर्शी वातावरण में जांच माननीय मुख्यमंत्री जी की अवैध निर्माण रोकने की भावना को ध्यान में रखकर गहनता से कराई जाए और जिस प्रकार सेन्ट्रल मार्केट में कार्रवाई हो रही है आवश्यकता हो तो इस निर्माण पर भी हो ऐसी कार्रवाई।
