मेरठ 06 मई (प्र)। पराग दुग्ध संघ गगोल परतापुर के प्लांट में प्राइवेट डेयरियों के दूध को प्रतिबंधित कर दिया गया है। शहर और आर्मी क्षेत्र में पराग दूध और अन्य प्रॉडक्ट की आपूर्ति करने में लापरवाही बरतने वाले डिस्ट्रीब्यूटर को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है। अब शीघ्र ही पराग दुग्ध प्लांट में नौकरी व ठेकेदारी करने वाले डायरेक्टरों के रिश्तेदारों पर भी गाज गिरने वाली है। पराग दुग्ध प्लांट में कुछ प्राइवेट संस्थानों से आने वाले दूध को लेकर काफी समय से आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे हैं नकली दूध से बने प्रॉडक्ट को लेकर भी कई बार मामले उठे।
इन आरोपों को खत्म करने के लिए गगोल दुग्ध संघ के नए बोर्ड ने चार्ज संभालते ही नकली संदिग्ध दूध की पराग प्लांट में आपूर्ति प्रतिबंधित कर दी। सभापति रजनी देवी समेत बोर्ड के सदस्यों की मानें तो पराग प्लांट में काफी समय से दूध व अन्य प्रॉडक्ट की शहर व आम क्षेत्रों में आपूर्ति न करने वाले डिस्ट्रीब्यूटर को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया। बोर्ड का आरोप है कि डिस्ट्रीब्यूटर दुग्ध संघ विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के साथ-साथ मथुरा और आगरा कैंट में समय से आपूर्ति नहीं कर रहे थे। इससे पराग डेयरी को नुकसान पहुंच रहा था।
सभापति का कहना है कि दुग्ध संघ बोर्ड का कोई सदस्य या उनके किसी भी रिश्तेदार को पराग प्लांट में ठेकेदारी या नौकरी करने का अधिकार नहीं है। शासनादेश के मुताबिक ऐसे सभी लोगों की जांच की जा रही है। इसकी रिपोर्ट शीघ्र ही शासन को भेजी जाएगी।
उधर, पराग दुग्ध संघ के महाप्रबंधक पंकज सिंह का कहना है कि होली के त्यौहार पर जिन कर्मचारी व अधिकारियों को गिफ्ट बांटे गए हैं, उनमें सरकारी खजाने का उपयोग नहीं किया गया है। उपहार बांटने का उद्देश्य श्रमिकों के मनोबल को बढ़ाने और संस्था की धूमिल छवि को सुधारने का एक प्रयास है। उपहार पर आने वाले खर्च की कटौती ठेकेदारों के बिल से की जा रही है।
किसानों का भुगतान समय पर किया जा रहा है। बोर्ड का निर्णय है कि संघ के किसी भी डायरेक्टर के रिश्तेदार प्लांट में नौकरी और ठेकेदारी नहीं करेंगे। ऐसे सभी लोगों की जांच कर रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।