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नागरिक है परेशान! खस्ताहाल हुई काली पलटन व हनुमान चौक व शिवचौक की सड़क, 90 दिन में ही उखड़ गई 50 करोड़ खर्च बनी सड़कें

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मेरठ 16 फरवरी (अम/विशेष संवाददाता)। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की हर व्यक्ति को अच्छी सड़के और सुलभ सुचारू यातायात व्यवस्था की मंशा को ध्यान में रखते हुए यूपी के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा प्रदेश की सड़कों को पूर्ण रूप से गढ्डा मुक्त बनाने के लिए एक संघन अभियान चलाया गया है जिसके तहत काम करने वाली संस्थाओं को बजट भी सरकार पूरी तौर पर दे रही है। पिछले दिनों माननीय मुख्यमंत्री जी ने स्पष्ट कहा था कि ऐसी सड़के बनाई जाए जो पांच और बीस साल चले और अगर इससे पहले टूटती है तो उसके रखरखाव की जिम्मेदारी बनाने वाले ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों की होगी लेकिन कारण कुछ भी हो ऐसा हो नहीं पा रहा। और पता नहीं वो क्या बात है कि शासन और सरकार में शामिल जनप्रतिनीधि मुख्यमंत्री जी की योजना के विपरित जो सड़के समय से पहले ही टूट रही है उन्हें ठेकेदारों से सही कराने और अफसरों पर दबाव बनाने में असफल क्यों है।

भाजपा सरकार में भी धार्मिक स्थलों की सड़कें
औरों की तो बात छोड़िऐं धार्मिक स्थलों के आसपास की सड़के गढ्डों से भरी और खस्ताहाल नजर आती है। अभी कुछ वर्ष पहले ऐतिहासिक काली पलटन मंदिर से वेस्ट एण्ड रोड़ तक की सड़क बनी थी अब पूरी तरह से खस्ताहाल नजर आ रही है तो यहां बाम्बे बाजार स्थित हनुमान चौक से शिव चौक तक की सड़क कम गढ्डे ज्यादा नजर आते है। कई बार एक्सीडेंट भी हो रहे है। लेकिन छावनी बोर्ड में सरकार द्वारा मनोनीत सदस्य सतीश शर्मा के रहते हुए भी ना तो काली पलटन मंदिर की सड़क ही सही हो पा रही है और ना ही हनुमान चौक से शिव चौक की सड़क बन पाई है। जबकि कई बार व्यापारी और नागरिक जनप्रतिनीधि से भी शिकायत कर चुके है। कुछ लोगों का कहना है कि अगर भाजपा सरकार में भी धार्मिक स्थल की सड़के सही नहीं होगी तो कब।
अफसोस ! शहर की सड़कें दुरुस्त करने की जुगत भी बदहाली का शिकार हो गई। चमचमाती सड़क बनने का सपना देखने वाले शहरवासियों को सालों बाद सड़क मिली भी तो 90 दिन के भीतर ही शहर की 12 सड़कें फिर खस्ताहाल हो गईं। सड़क बनाने में इतनी घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया कि सड़कें उधड़ गई और गड्ढे में तब्दील होने लगीं।

बताते चले कि 50 करोड़ खर्च करने के बाद भी निगम सड़कों की सूरत नहीं बदल सका। हाल ही में बनीं इन सड़कों को लेकर लोगों ने शिकायत करनी शुरू की तो नगर आयुक्त गुणवत्ता परखने निकले पांडवनगर, सूरजकुंड और गंगानगर सहित कई सड़कें नगर आयुक्त को उधड़ी मिली। इस पर भुगतान में कटौती और अवर अभियंता, सहायक अभियंता, अधिशासी अभियंता को कारण बताओ नोटिस जारी करने की बात कही गई। लेकिन घटिया सड़कों के मामले में न ही कोई कार्रवाई की गई, न ही ठेकेदारों का भुगतान रोकने की पहल।

खस्ताहाल सड़कों से आजिज लोग निगम की नई सरकार बनने के बाद सड़कों की तकदीर बदलने की उम्मीद लगाए बैठे थे। सात महीने के गुणा-भाग के बाद नगर निगम ने टेंडर प्रक्रिया शुरू की। कई बार टेंडर प्रक्रिया ही अधर में लटक गई। तीन महीने पहले कई कोशिशों के बाद करीब 50 करोड़ की लागत से महानगर में सड़कें बनाने के टेंडर जारी किए गए। सड़कें बनीं तो तीन महीने में ही जिलाधिकारी आवास के सामने, पुलिस लाइन, सर्किट हाउस के पास, गंगानगर डिवाइडर रोड, गंगानगर मेन रोड, पांडवनगर, रक्षापुरम और सूरजकुंड पीएल शर्मा रोड़ सहित कई सड़कों का सरफेस खराब हो गया और उखड़ती सड़कों पर लोग फिसलकर गिरने लगे।

ऐसा हुआ था हाल कि रोड खोदकर ट्राली में भर ले गए थे
माधवपुरम स्थित प्रेम विहार में सड़कों की गुणवत्ता की पोल 20 दिसंबर 2023 को खुल गई थी खराब सड़क बनने पर लोगों के हंगामे के बाद ठेकेदार को 24 घंटे में ही सड़क खोदकर घटिया मेटेरियल ट्रैक्टर-ट्रॉली में लादकर ले जाना पड़ा था। इसके बाद भी निगम की नींद नहीं टूटी और सड़कों की खराब हालत के बावजूद गुणवत्ता नहीं सुधारी ।

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