Saturday, July 5

एमएसडीई और ग्रामीण विकास मंत्रालय में हुआ ऐतिहासिक एमओयू

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मेरठ 27 जून (प्र)। ग्रामीण भारत में आजीविका को सशक्त करने और महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम के तहत, ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) और कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) के बीच नई दिल्ली के कृषि भवन में आज एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। दोनों मंत्रालयों के बीच हुए इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) का उद्देश्य कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय की तकनीकी विशेषज्ञता और संस्थागत संरचना को, दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की व्यापक जमीनी पहुंच और क्रियान्वयन क्षमताओं के साथ जोड़ कर, ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसरों को सशक्त बनाना है।

इस अवसर पर कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के माननीय राज्य मंत्री श्री जयन्त चौधरी ने कहा कि “यह साझेदारी ग्रामीण भारत की सामाजिक और आर्थिक बुनियाद को मजबूत करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। स्वयं सहायता समूहों की करोड़ों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह समझौता आजीविका, कौशल और उद्यमिता को एक साझा मंच लाने का बड़ा प्रयास है। ग्रामीण महिलाओं को मांग-आधारित प्रशिक्षण, डिजिटल व वित्तीय साक्षरता, और बाज़ार से जुड़ाव के अवसर प्रदान किए जाएंगे और आईटीआई, आरएसईटीआई, जेएसएस और एनआईईएसबीयूडी जैसी संस्थाओं के नेटवर्क के ज़रिए यह प्रशिक्षण ज़मीनी स्तर तक पहुँचेगा। सिद्ध पोर्टल के माध्यम से मान्यता देकर हम इन कौशलों को औपचारिक पहचान भी देंगे। यह सिर्फ आर्थिक सशक्तिकरण नहीं, बल्कि महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका में लाने की नींव है। जहाँ वे न सिर्फ रोजगार पाएँगी, बल्कि रोजगार सृजक भी बनेंगी। ‘लखपति दीदी’ जैसे अभियानों के माध्यम से हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि भारत का हर गाँव एक नये आत्मविश्वास और अवसरों की मिसाल बने”।

इसका उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के कौशल, बाज़ार पहुंच और उद्यमशीलता क्षमताओं को इस प्रकार विकसित करना है कि वे वैश्विक कार्यबल का हिस्सा बन सकें। दोनों मंत्रालयों के कौशल विकास और उद्यमिता कार्यक्रमों के प्रति जागरूकता फैलाना, और इन पहलों को स्थानीय बाज़ार की ज़रूरतों व भविष्य के अवसरों से जोड़ना इस प्रयास का महत्वपूर्ण भाग है। इस साझेदारी के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनने में सक्षम बनाने हेतु मांग-आधारित कौशल प्रशिक्षण और व्यवहारिक उद्यमिता विकास को प्राथमिकता दी गई है। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रशिक्षण मॉड्यूल और पाठ्यक्रम स्थानीय संदर्भों के अनुरूप हों और उभरते नौकरी बाज़ारों व भविष्य के कौशलों की आवश्यकताओं को पूरा करें। स्किल इंडिया डिजिटल हब (सिद्ध) के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं और प्रशिक्षकों को उनके कौशल का औपचारिक प्रमाण दिया जाएगा। साथ ही, वित्तीय साक्षरता, बाज़ार संपर्क, कानूनी अनुपालन, व्यवसाय विकास और परामर्श जैसी सेवाओं के माध्यम से उन्हें सम्पूर्ण रूप से सक्षम बनाया जाएगा।

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