Sunday, December 22

हनुमान चौक सेवा समिति भंग तो देखभाल कौन और किसकी अनुमति से कर रहा है, कार्यकारिणी की बैठक में सभी को क्यों नहीं बुलाया गया

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मेरठ 13 जुलाई (विशेष संवाददाता)। वर्तमान समय में शहर के प्रमुख और प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों में शुमार नागरिकों की मन से जुड़ी धार्मिक आस्थाओं का प्रतीक हनुमान चौक बांबे बाजार में स्थित हनुमान मंदिर और शिव मंदिर मौखिक चर्चा का विषय है। क्योंकि यहां बड़ी संख्या में मंगलवार को श्रद्धालु हनुमान मंदिर में और सोमवार को शिव मंदिर में दर्शनों के लिए आने के साथ ही प्रतिदिन भी माथा टेकने आते है।

बताते है कि आजकल हनुमान चौक शिव चौक सेवा समिति जो देखभाल करती है वो इन दिनों भंग है। इस बात की जानकारी जिन भक्तों को है वो एक दूसरे से पूछ रहे बताये जाते है कि आखिर इसका संचालन कौन कर रहा है। मौखिक रूप से प्राप्त एक जानकारी के अनुसार बताया जाता है कि रवि माहेश्वरी की देखरेख में कुछ सदस्य इसकी देखभाल करते है। तथा पिछले दिनों कुछ नये सदस्य भी बनाये गये थे लेकिन जानकारों का यह भी कहना है कि इसकी कार्यकारिणी की जिस बैठक मे कमेटी भंग की गई उसमें सभी सदस्यों को नहीं बुलाया गया। और अब जो लोग देखभाल कर रहे है उनकी नियुक्ति कार्यवाहक के रूप में किसने की। एक चर्चा यह भी है कि हनुमान चौक मंदिर में लगे दान बक्सों में एक लाख से ऊपर का चंदा हर महीने आता है इस हिसाब से हर साल 12 से 15 लाख रूपये इक्ट्ठे होते है आखिर वो कौन से एंकाउट में जमा कराया जाता है। पिछले कई सालों में जो पैसा आया वो कितना बाकी और कितना किस काम में खर्च हुआ। एक जानकार द्वारा मौखिक रूप से दी गई जानकारी के अनुसार शिव चौक के सौन्दर्यकरण के लिए 15 लाख रूपये का बजट बनाया गया था जो अब 1 करोड़ से ऊपर पहुंच गया बताया जाता है।

इस संदर्भ में किसी ने भी कमेटी के पदाधिकारी अथवा सदस्य पर तो कोई टिप्पणी और आरोप प्रतिआरोप नहीं किया है मगर भक्तों में यह चर्चा जरूर सुनने को मिलती है। कि आखिर हनुमान चौक व शिव चौक के सौन्दर्यकरण पर जो धन खर्च होता है उसका प्रोजेक्ट कौन बनाता है किस काम पर कितना खर्च होगा और फिर कुछ ही माह में यह बजट 15 लाख से 1 करोड़ से ऊपर कैसे पहुंच गया। और इसे बढ़ाने का सुझाव समीक्षा उपरांत किसने दिया। लोगों का कहना है कि जनहित में जो लोग कमेटी भंग होने के बाद भी मंदिर समितियों की देखभाल का काम कर रहे है उन्हें कार्यवाहक के रूप में किसने अनुमति दी। और कार्यकारिणी की जिस बैठक में कमेटी भंग करने का निर्णय लिया गया उसमें सभी सदस्यों को क्यों नहीं बुलाया गया। और मंदिर के दानपात्र में आने वाले पैसे और खर्च की जानकारी यहां आने वाले दानदाता भक्तों को क्यों नहीं दी जाती। लोगों को इस पर भी एतराज नजर आया कि मंदिरों के चारों ओर दानपात्रों की संख्या तो बढ़ा दी गई लेकिन यहां यह सूची नहीं लगाई कि यहां क्या क्या कार्य होना है और उस पर कितना पैसा खर्च होगा। और जब बजट बढ़ाया जाता है तो समिति भंग होने के बाद उसकी अनुमति कौन देगा।

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