नई दिल्ली 21 दिसंबर। पिछले 11 महीनों से विवादित रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) को 12 साल बाद आज नया अध्यक्ष मिल गया है। भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष पद से बृजभूषण शरण सिंह की भले ही विदाई हो गई हो. मगर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष का पद अब भी उन्हीं के खेमे में है. 21 दिसंबर को हुए कुश्ती महासंघ के चुनाव में बृजभूषण के करीबी संजय कुमार सिंह को जीत मिली है. संजय सिंह का मुकाबला बृजभूषण की खिलाफत में आंदोलन कर चुकी कॉमन वेल्थ गेम में गोल्ड मेडल जीत चुकी अनीता श्योराण से था.
भारतीय कुश्ती संघ के कुल 15 पदों पर चुनाव हुए. अध्यक्ष पद के अलावा वरिष्ठ उपाध्यक्ष, उपाध्यक्ष के 4 पदों, महासचिव, कोषाध्यक्ष, संयुक्त सचिव के 2 पदों और 5 कार्यकारी सदस्यों का चुनाव हुआ. चुनाव की प्रक्रिया इस साल जुलाई में शुरू हुई थी, लेकिन कोर्ट केसेज के कारण ये चुनाव टलता गया. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस चुनाव पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की ओर से लगी रोक को रद्द किया और इसके बाद चुनाव की तारीख का ऐलान हो पाया. अब 21 दिसंबर को चुनाव हुआ और इसके नतीजे भी बृजभूषण खेमे के पक्ष में आए.
भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद पर पिछले 12 साल से बृजभूषण शरण सिंह थे. साल 2011 से लगातार तीन बार वो कुश्ती संघ के अध्यक्ष चुने गए. बृजभूषण शरण सिंह के अध्यक्ष रहने के दौरान ही देश के कई पहलवानों ने उनके खिलाफ आंदोलन किया था. बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोप लगाए गए थे. याद होगा आपको, जब जंतर मंतर पर पहलवान धरने पर बैठे थे. मामला कोर्ट में है.
भारतीय कुश्ती संघ के नए अध्यक्ष संजय कुमार सिंह, ‘बबलू’ नाम से भी जाने जाते हैं. वो उत्तर प्रदेश के कुश्ती संघ और राष्ट्रीय कुश्ती संघ दोनों में पदाधिकारी रहे हैं. साल 2019 में भारतीय कुश्ती संघ की कार्यकारी कमिटी में संयुक्त सचिव चुने गए थे. मतलब WFI की पिछली कार्यकारी परिषद का हिस्सा थे.
संजय सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के चंदौली के रहने वाले हैं. गांव का नाम है झांसी, ये चंदौली का झांसी गांव है. संजय सिंह के पिता और दादा दंगल कराया करते थे. इस वजह से संजय सिंह भी कुश्ती में हमेशा काम करते रहे. संजय सिंह 2008 में वाराणसी कुश्ती संघ के जिला अध्यक्ष बने थे. जब 2009 में उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ बना तो बृज भूषण शरण सिंह प्रदेश अध्यक्ष बने और संजय सिंह उपाध्यक्ष बने.
संजय कुमार सिंह बृजभूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी हैं. BBC की एक रिपोर्ट में संजय सिंह खुद कहते हैं कि बृजभूषण शरण सिंह और उनके पारिवारिक ताल्लुकात हैं. वे दोनों पिछले तीन दशक से एक-दूसरे के साथ काम कर रहे हैं.
PTI की रिपोर्ट के मुताबिक संजय सिंह काफी समय से खुलेआम दावा कर रहे थे कि जीत उन्हीं की होगी. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि संजय सिंह के पैनल को निर्वाचक मंडल के 50 सदस्यों में से कम से कम 41 सदस्यों का समर्थन का भरोसा था.