मेरठ 04 सितंबर (प्र)। देश के साम्प्रदायिक सौहार्द्र और भाईचारा बनाने में अग्रणी रहने वाले मुस्लिम परिवारों मे शीर्ष स्थान पर विराजमान डा0 मैराजुद्दीन के द्वारा पार्टी छोड़ने का भले ही अभी फिलहाल रालोद को कोई फर्क न पड़ता हो लेकिन भविष्य में काफी समस्याऐं सामने आ सकती है। पूर्व में राज्यसभा सदस्य रहे शाहिद सद्दीकी ने रालोद छोड़ी और अब प्रदेश सरकार में सिंचाई मंत्री रहे और अलीगढ़ मुस्लिम विवि से संबंध डा0 मैराजुद्दीन पूर्व में बागपत से केन्द्रीय उद्योगमंत्री रहे चौधरी अजीत सिंह के सामने चुनाव लड़ चुके और अब उनके कांग्रेस में जाने की चर्चा है। बताते चले कि भाईचारे और सौहार्द्र के समर्थक नरमपंथी नेताओं में सुमार डा0 मैराज ने रालोद को अलविदा क्यों कहा इसकी सही वजह तो वो या जयंत चौधरी साहब ही जान सकते है। मगर यह चर्चा है कि पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी की कारगुजारी एवं जम्मू कश्मीर में हो रहे चुनावों में डा0 मैराज को जो तबज्जो मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिल रही थी इसलिए उनको मजबूर होकर रालोद छोड़नी पड़ी। आगे क्या होगा यह तो समय ही जाने। लेकिन रालोद से मैराजुद्दीन का जाना फिलहाल खबरों की सुर्खियो में है। राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव डा. मैराजउद्दीन ने पद और पार्टी की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है। उन्होंने कंद्रीय मंत्री एवं रालोद अध्यक्ष जयन्त चौधरी पर पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह एवं अपने पिता अजित सिंह के सिद्धांतों से समझौता करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस, सपा और रालोद में रह चुके डा. मैराजउद्दीन के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें लग रही हैं। वह आल इंडिया कांग्रेस कमेटी कार्यसमिति के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
डा. मैराजउद्दीन के पिता पद्मश्री हकीम सैफुद्दीन आजीवन कांग्रेस में रहे। कांग्रेस से उनका पुराना नाता रहा है। 2017 में पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह उन्हें रालोद में लेकर आए थे। इसके पहले 1998 में उन्होंने चौधरी अजित सिंह के खिलाफ लोकसभा चुनाव सपा के टिकट पर लड़ा था। जिसमें भाजपा के डा. सोमपाल शास्त्री ने अजित सिंह को हराया था।
प्रदेश सरकार में पूर्व सिंचाई मंत्री डा. मैराजउद्दीन ने रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार जयन्त चौधरी पर अपने दादा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह की विचारधारा से भटकने का आरोप लगाया और कहा है कि किसानों, दलितों और अल्पसंख्यकों के साथ जिन पार्टियों ने अत्याचार किया और जिनके साथ वह कभी न जाने की बात किया करते थे, लेकिन सत्ता के लालच में आ कर उन्हीं के साथ हाथ मिला लिया है। आज भी देश में किसानों, दलितों और अल्पसंख्यकों पर ज्यादती हो रही है, लेकिन जयन्त चौधरी खामोश हैं। डा. मैराजउद्दीन ने कहा वह यह सहन नहीं कर सकते, इसलिए पार्टी के सभी पदों से त्यागपत्र दे रहे हैं।
स्मरण रहे कि कांग्रेस सपा के कई बड़े नेताओं से डा0 मैराज के आज भी व्यक्तिगत रूप से घनिष्ठ संबंध बताये जाते है।
चर्चा है भाईचारा और सौहार्द्र की विचारधारा वाले नरमपंथी नेता डा0 मैराज ने क्यों छोड़ी रालोद?
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