मेरठ 16 जनवरी (प्र)। पिछले कुछ वर्षों से बच्चों को अनुशासन सिखाने उन्हें अच्छी उच्चस्तरीय शिक्षा देने एवं काबिल बनाने की बात कहकर विभिन्न नामों पर मोटी फीस वसूल करने वाले नामचीन स्कूलों के प्रधानाचार्य और टीचर क्या पढ़ा रहे और क्या सीखा रहे है इसका नजारा बीते दिनों जागृति विहार शास्त्रीनगर और केएल इंटरनेशनल स्कूल के आसपास के क्षेत्रों में नागरिकों के अनुसार उस समय देखने को मिला जब 12वीं के छात्र फेयरवेल पार्टी के बाद 10-15 गाड़ियों के काफिले के साथ सड़कों पर स्टंट करते नजर आये।
खबर के अनुसार ये कारें की सीज- स्कार्पियो यूपी 65डीसी 2999 जो सुभाष रस्तोगी निवासी मेडिकल कालेज कैंपस में रहते हैं। पीछे शीशे पर विश्व हिंदू महासंघ उपाध्यक्ष लिखा है।
थार यूपी15ईए 4041 जो अनुज कुमार चौहान निवासी मंगल पांडेय नगर निकट उदय पार्क के नाम है।
बेजा यूपी 15 सीआर 1001 जो तरुण कौशिक निवासी गली नंबर एक राजेंद्र नगर के नाम से रजिस्टर्ड है।
होंडा सिटी यूपी 15सीक्यू 9220 जो राजीव गुप्ता निवासी (11) शास्त्रीनगर थाना नौचंदी के नाम से रजिस्टर्ड है।
एक्सयूपीपी 700 यूपी 15 ईए 6777 जो अंगुल गोयल निवासी मानसरोवर साकेत थाना सिविल लाइंस के नाम से रजिस्टर्ड है।
उक्त नम्बर की गाड़ियों के सीज होने के बाद एसएसपी रोहित सजवाण जी ने भी कहा है कि सभी गाड़ियों के मालिकों और छात्रों के विरूद्ध मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है।
खबरों के अनुसार छात्रों के स्टंट और हुड़दंग के दौरान कई बार दुर्घटना होते होते बची मगर भगवान की मेहरबानी रही कि कोई दुर्घटना नहीं हुई। लेकिन ये कितने ताज्जुब की बात है कि इतनी बड़ी घटना हुड़दंग व स्टंटबाजी के बाद एक खबर के अनुसार केएल इंटरनेशनल के प्रधानाचार्या सुधांशु शेखर जी कह रहे है कि कार्यक्रम के बाद शारीरिक शिक्षकों को निगरानी के लिए लगाया गया था लेकिन ऐसी कोई सूचना नहीं मिली जिसे इस बात का प्रतीक भी कह सकते है कि आये दिन शहर को जाम से मुक्ति दिलाने और बच्चों के वाहन चलाने पर रोक एवं उन्हें सिद्धांत सिखाने के संदर्भ में बयान देने और अच्छी शिक्षा के लिए पुरस्कार पाने वाले प्रधानाचार्या ने इस घटना को कितनी गंभीरता से लिया है। तथा नागरिकों के कहे अनुसार कि वो क्या पढ़ा रहे है और क्या सीखा रहे इस बात का इससे पता चलता है। फिलहाल सड़कों पर अराजकता फैलाने में पांच लक्जरी कारें सीज की गई है। अभिभावक खुलकर तो कुछ नहीं कह रहे है लेकिन उनमें ये चर्चा जरूरी सुनाई देती है कि आखिर अपने आपको सुप्रीम ठहराकर अच्छी खासी फीस लेने वाले इन स्कूलों के प्रधानाचार्या और टीचरों के द्वारा लगता है कि सिर्फ अपना महिमामंडन कराने और बड़े बड़े बयान देने व सम्मानित होने के अलावा कुछ नहीं किया जाता। वर्ना सुधांशु शेखर इतनी बड़ी घटना को इतना सामान्य नहीं लेते। फेयरवेल पार्टी के दौरान स्कूल से निकले छात्रों के द्वारा हंगामा किया जा सकता है इसकी आशंका होने के बाद भी उन्हें स्कूल से एक साथ कैसे जाने दिया और जो शिक्षक लगाये गये थे वो क्या कर रहे थे कि जो इतना हंगामा हो गया। यह सवाल एक दूसरे से पूछ रहे है।