दैनिक केसर खुशबू टाइम्स
मेरठ, 06 अप्रैल (विशेष नगर संवाददाता) कभी राजस्थान के कोटा और कभी यूपी के नोएडा सहित अलग अलग स्थानों पर शिक्षा से संबंद्ध उत्पन्न परेशानियों को लेकर छात्र छात्राओं द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटनाएं समय असमय मीडिया के विभिन्न माध्यमों से पढ़ने सुनने देखने को मिलती ही रहती है। अभी बीते दिनों गंगानगर में परीक्षा छूटने से आहत छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। लेकिन सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद भी छोटे बड़े स्कूलों के संचालक अपनी निरंकुश कार्यप्रणाली से बाज आने को तैयार नहीं लगते हैं। सवाल यह उठता है कि जब सरकार सभी सुविधाएं इन स्कूल संचालकों को उपलब्ध करा रही है और यह मोटी मोटी फीस लेकर बच्चों को दाखिला देकर पढ़ा रहे हैं तो फिर नियमों के विपरित जाकर अपनी हिटलरशाही क्यों दिखा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार प्राप्त जानकारी से पता चल रहा है कि शहर के प्रतिष्ठित सीबीएसई बोर्ड द्वारा संचालित सैंट मैरी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र अक्षय जैन जो दसवीं में प्री बोर्ड में पास हुआ और अभी पूर्ण रिजल्ट आया नहीं है लेकिन उसे अगली क्लास में मनचाहा विषय देने को स्कूल तैयार नहीं है जबकि चर्चाओं में खबर है कि उससे कम नंबर वालों को साइंस और कॉमर्स विषय दे दिया गया लेकिन उससे कहा जा रहा है कि आर्ट विषय लो।
इसके अलावा कई छात्रों को स्कूलों में नया विषय हयूमनिज लेने को मजबूर किया जा रहा है। बच्चों के अभिभावक जो एक प्रतिष्ठित स्कूल ऋषभ की प्रबंध समिति के सचिव होने के साथ ही सीए भी है बीते दिनों दूसरे प्रदेश में पढ़ रही उनकी बेटी की मौत हुई थी इसलिए परिवार शोक में डूबा हुआ है लेकिन बताते हैं कि स्कूल के संबंधित लोगों द्वारा उनसे कोई हमदर्दी दिखाने की बजाय जबरदस्ती बच्चों को स्कूल की पंसंद का विषय लेने को मजबूर किया जा रहा है। स्मरण रहे कि सरकार की शिक्षा नीति के तहत अगर बच्चा पास है तो उसे अपनी मनमर्जी का सबजेक्ट लेकर पढ़ने की आजादी है लेकिन यहां तो स्कूल प्रधानाचार्या या अन्य संबंधित यह तय करना चाहते हैं कि बच्चा डॉक्टर बने या इंजीनियर यह उनकी मर्जी से तय हो। जो बिल्कुल गलत है। बताया जा रहा है कि स्कूल कॉर्डिनेटर सैयद द्वारा अक्षय के अभिभावकों से कहा गया है कि वो चाहें जो कर ले विषय तो वही लेना पड़ेगा जो हम चाहेंगे। मौखिक चर्चा है कि कई मामलों में विवादित सैयद कॉर्डिनेटर का अभिभावकों से व्यवहार ठीक नहीं रहता है। अब इसमें कितनी सत्यता है यह तो वही जाने या जांच से स्पष्ट हो सकता है लेकिन बताते हैं कि कैंट बोर्ड की वेस्ट एंड रोड लाइब्रेरी के पास इनके द्वारा बच्चों को टयूशन पढ़ाया जाता है जबकि सरकारी नीति के तहत इस स्कूल में पढ़ाने वाला कोई भी व्यक्ति प्राइवेट टयूशन नहीं पढ़ा सकता।
बच्चे के अभिभावक सीए संजय जैन इस मामले में अभी भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है क्योंकि उनका कहना है कि उन्हें सोमवार तक का समय दिया गया है। लेकिन खबर है कि उनके द्वारा इस मामले में न्याय पाने और अपने बच्चे को मनमाफिक विषय दिलाने के लिए मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की गई है जिसकी जांच सीओ कैंट कर रहे हैं। खबरें और चर्चाएं तो कॉर्डिनेटर सैयद और स्कूल को लेकर बहुत हैं लेकिन फिलहाल अक्षय के परिवार के एक सूत्र का कहना है कि सोमवार को अगर स्कूल प्रिंसिपल बच्चे को इच्छानुसार विषय नहीं देते हैं तो अदालत का द्वार खटखटाया जाएगा और डिप्टी रजिस्टार चिट फंड सोसायटी सहित मंडलायुक्त और डीएम के यहां शिकायत की जाएगी। अभिभावकों का कहना है कि शिक्षा नीति में ऐसा कोइ प्रावधान नहीं है कि बच्चा स्कूल प्रिंसिपल और स्कूल की मर्जी से विषय लेगा। मगर क्योंकि सबंधित विभागों के अधिकारी सरकार की शिक्षा नीति को नजरअंदाज कर स्कूलों पर कार्रवाई नहीं करते हैं इसलिए इनकी निरंकुशता बढ़ती जा र ही है तो जो छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ और अभिभावकों के दुख का माध्यम बनती जा रही है। कितने ही अभिभावकों का कहना है कि सरकार और शासन प्रशासन व पुलिस इस निरकुंशता पर रोक लगाए वरना गांधीवादी तरीके से जनप्रतिनिधियों के साथ धरना प्रदर्शन भी करने की कोशिश शुरू हो सकती है। बताया जा रहा है कि अक्षय के अभिभावकों को कई जनप्रतिनिधियों ने साथ खड़े रहने का आश्वासन भी दिया है।