मेरठ 29 मई (प्र)। मेरठ जिले के बैंकों से रिजर्व बैंक में नकली करेंसी पहुंचने का सिलसिला जारी है। एक बार फिर तीन बैंकों से रिजर्व बैंक में नकली नोटों की खेप पहुंची।रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के कानपुर के दावा अनुभाग के प्रबंधक आईपीएस गहलौत ने सिविल लाइन थाने में तीन बैंक मैनेजरों के खिलाफ मुकदमा नकली करेंसी का दर्ज कराया है। अभी पहले से दर्ज मुकदमों की जांच भी नहीं हुई है। मेरठ के बैंकों में नकली नोट कहां से आ रहे हैं, यह भी पता नहीं चल पाया है।
एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह के मुताबिक आईपीएस गहलौत ने जानकारी दी कि भारतीय रिजर्व बैंक में कई बैंकों की करेंसी चेस्ट शाखाओं से नकली नोट अधिक संख्या में पाए जा रहे हैं। जाली नोट छापना और बाजार में चलाना भारतीय दंड संहिता की धारा 489ए से 489ई के अंतर्गत अपराध है। जिन बैंक शाखाओं से जाली नोट आ रहे हैं, उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए जा रहे हैं। फरवरी में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की शाखा से नकली नोट रिजर्व बैंक पहुंचे। जिस पर सिविल लाइन थाने में इन तीनों बैंकों के प्रबंधकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
एसपी सिटी ने बताया कि यह करेंसी फरवरी में कानपुर में भेजी गई थी, जिसमें सर्वाधिक दो हजार के नोट है, जो जाली पाए गए है। आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट और तहरीर के आधार पर यह मुकदमा दर्ज कराया है। इसकी जांच करने के बाद बैंक मैनेजरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
पहले भी दर्ज हुए हैं सात मुकदमे यह पहला मामला नहीं है जब जिले की बैंक शाखाओं से रिजर्व बैंक में नकली नोट पहुंचे हैं। इससे पहले भी रिजर्व बैंक में मेरठ से नकली नोट पहुंचे हैं। इससे पहले भी सिविल लाइन थाने में नकली करेंसी के मामले में सात मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।
बैंकों में भी नहीं हो पा रही नकली नोटों की पहचान : बाजार में नकली नोटों का चलन काफी बढ़ गया है। बैंकों में भी नकली नोटों की पहचान नहीं हो पा रही है। बैंकों में नकली नोट पहचानने वाली मशीनें लगी होती हैं। अब बड़े व्यापारी भी अपने यहां जाली नोटों की पहचान करने वाली मशीनें लगवा रहे हैं।
बैंक अधिकारी भी मान रहे हैं कि बाजार में ऐसे नकली नोट प्रचलन में आ गए हैं, जिन्हें अब पारखी नजरें भी नहीं पकड़ पा रही हैं, इसलिए मशीन पर निर्भर रहना पड़ता है।
कौन पड़े कानूनी पचड़े में: जाली नोटों को लेकर बैंकों का रवैया हैरान करने वाला है। किसी बैंक कैशियर को जाली नोट मिलता है तो वह उसे फाड़कर फेंक देता है या फिर क्रॉस कर ग्राहक को वापस कर देता है, जबकि आरबीआई की गाइडलाइन के अनुसार इसकी जानकारी पुलिस को देनी चाहिए। नकली नोट को लेकर कानूनी प्रक्रिया से बचने की वजह से ही ऐसा किया जाता है।
पाकिस्तान और नेपाल से जुड़े हैं तार: नकली करेंसी के तार पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से जुड़े हैं। इस मामले की पड़ताल ठीक से नहीं हो पा रही है। मेरठ में पहले भी नकली नोट पकड़े गए हैं। आरोपियों ने पाकिस्तान और नेपाल से तार जुड़ने की बात कही थी।