मेरठ, 28 मई (प्र)। बड़ौत के दिल्ली-सहारनपुर हाईवे किनारे आस्था अस्पताल की तीसरी मंजिल में आग लगने के बाद मेरठ में भी ऐसे अस्पतालों की पड़ताल की गई, जिन्होंने अग्निशमन विभाग से एनओसी नहीं ली है। जिले में ऐसे 61 पंजीकृत अस्पताल हैं। सीएमओ डॉ. अखिलेश मोहन का कहना है कि अगर इन अस्पतालों ने दस दिन के अंदर फायर ब्रिगेड से एनओसी नहीं ली तो कार्रवाई की जाएंगी।
जिले में 290 पंजीकृत्त चिकित्सालय हैं। अग्निशमन विभाग से जो सूची स्वास्थ्य विभाग को मिली है, उसमें 229 अस्पतालों को अनापत्ति प्रमाणपत्र दिया गया है। बाकी के पास यह अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं है।
मॉल संचालक भी नहीं ले रहे सबक
राजकोट में गेम जोन में हुए बड़े हादसे के बाद भी मेरठ में मॉल संचालकों ने कोई सबक नहीं लिया है। कहीं मॉल में एस्केलेटर खराब हैं तो कहीं एसी की सुविधा नहीं है। सालों से फायर ट्रायल भी नहीं हुए हैं। ऐसे में यहां कार्यरत कर्मचारी आपात हालात में आग पर काबू पाने के तरीकों से पूरी तरह अनजान हैं। शॉप्रिक्स मॉल स्थित गेम जोन तीसरी मंजिल टॉप फ्लोर पर है। प्रतिदिन 100 से 150 बच्चे परिवार के साथ आते हैं। वीकएंड में यहां बच्चों की संख्या 300 से अधिक रहती है। इसके अलावा इसी फ्लोर पर फूड कोर्ट और वेब सिनेमा के तीन थिएटर हैं। शाम के समय इस फ्लोर पर लोगों की संख्या 2 हजार से अधिक पहुंच जाती है। इस फ्लोर पर आने के लिए दो ही लिफ्ट संचालित हैं। इसके अतिरिक्त दो एस्केलेटर हैं जो खराब हैं। शॉप्रिक्स मॉल के मैनेजर प्रमोद कुमार का कहना है कि मॉल में सभी व्यवस्थाओं को बेहतर बनाया जा रहा है। मॉल का एसी ठीक है। एस्केलेटर को ठीक किया जा रहा है। इस खबर को पढ़कर जागरूक नागरिकों का कहना है कि शहर में होटलों और फैक्ट्रियों का भी ज्यादातर यही हाल है। इनकी भी जांच होनी चाहिए।
संतोष कुमार राय, चीफ – फायर ऑफिसर का कहना है कि 6 आज से 6 जून तक शहर के सभी गेम जोन, मॉल, अस्पताल, मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में फायर संबंधी उपकरणों की जांच के लिए आदेश दिए गए हैं। शॉप्रिक्स मॉल भी इस संबंध में जांच की जाएगी। सभी फायर ऑफिसर अपने अपने क्षेत्रों में जांच कर रिपोर्ट देंगे। इसके बाद नोटिस की कार्रवाई की जाएगी।