
मेरठ 08 जुलाई (प्र)। श्रीराम कथा महोत्सव में 6 से 14 जुलाई तक चलने वाली लाड़ली जू की प्यारी बाल व्यास श्रीधाम वृंदावन से अंशिका देवी की कथा में भक्तों की भीड़ निरंतर बढ़ती ही जा रही है। काली पलटन मार्ग स्थित अन्नपूर्णा मंदिर के सभागार में सायं 4 बजे से शाम 7 बजे तक होने वाली कथा में प्रथम दिन काली पलटन मंदिर मार्ग से कलश यात्रा निकली और पूजन व श्रीरामचरित मानस का बड़े ही सुदंर शब्दों में सुनाकर भक्तों को मंत्रमुक्त कर दिया। 7 जुलाई को भगवान शिव भोले नाथ के विवाह के किये गये वर्णन में भक्त झूमकर नाचे और भगवान शंकर की भक्ति में कुछ घंटों के लिए लीन हो गये। 8 जुलाई को आज अंशिका देवी ने संगीत की मधुर धुनों के बीच भगवान श्रीराम जन्म उत्सव की जो कथा सुनाई तो भक्त भाव विभोर होकर नाचने लगे और भगवान की भक्ति में लीन हो गये। कथा के दौरान मौजूद महिला पुरूष और उपस्थित बच्चों के चेहरे पर झलकने वाले भक्तिभाव से यह पता चल रहा है कि बाल व्यास कितने सुन्दर शब्दों में विभिन्न कथाओं का वर्णन कर रही है। कथा के दौरान व्यवस्था बनाने में मुख्य आयोजक ब्रजभूषण गुप्ता संस्थापक अध्यक्ष अन्नपूर्णा ट्रस्ट श्रीमति सुशीला गुप्ता जुगल किशोर गर्ग सुरेश चंद गुप्ता संरक्षक अतुल गुप्ता महामंत्री राजकेसरी कोषाध्यक्ष अशोक गर्ग सहकोषाध्यक्ष विजय भाटिया मंत्री अनिल अग्रवाल लोहे वाले द्वारा मैनेजर नितिन गुप्ता रमाकांत यादव उदय यादव आदि के सहयोग से अच्छी व्यवस्था बनाने में कामयाब है। कथा उपरांत भक्तों को प्रसाद और कथावाचक अंशिका देवी का आशीर्वाद भी खूब प्राप्त हो रहा है। बीते दिवस 7 जुलाई को हुई कथा में 11 वर्षीय बालिका अंशिका देवी, श्रीधाम वृंदावन से जिनकी ओजस्वी वाणी में छिपी अलौकिक शक्ति ने शिव विवाह प्रसंग को जीवंत कर दिया।
श्रद्धालुजनों ने कथा श्रवण कर दिव्य आनंद एवं आत्मिक शांति की अनुभूति प्राप्त की। कथा व्यास ने कहा कि भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संतुलन का प्रतीक है। यह विवाह हिंदू धर्म में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। शिव की पहली पत्नी सती का पुनर्जन्म पार्वती के रूप में हुआ। माता पार्वती ने अपनी भक्ति साबित करने के लिए कठोर तपस्या की और शिव को प्राप्त किया।
शिव पार्वती का विवाह उत्तराखंड के रुद्र प्रयाग स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर में हुआ। उस दौरान कथा स्थल को बहुत ही सुंदर ढंग से सजाया गया था। हर तरफ श्रीराम और भोलेनाथ जी के जयकारे गूंज रहे थे। देवी अंशिका ने कहा कि भगवान शिव के अपमान के कारण माता सती ने पिता दक्ष के यज्ञ में अपने प्राण त्याग दिए। इस बीच असुर तारकासुर ने भगवान ब्रह्मा से वरदान लिया कि उसकी मृत्यु केवल शिव पुत्र द्वारा ही संभव है। सती का पुनर्जन्म पार्वती के रूप में हुआ। पार्वती ने शिव को प्रभावित करने के लिए कठोर तपस्या की। देवताओं ने कामदेव को शिव की ध्यान भंग करने के लिए भेजा लेकिन शिव ने क्रोधित होकर कामदेव को भस्म कर दिया। अंत में माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ।
कथा में मुख्य यजमान के रूप में श्रीमति अरूणा एवं श्री मुकेश गुप्ता मौजूद रहते है।